नायक नायिका भेद वाक्य
उच्चारण: [ naayek naayikaa bhed ]
उदाहरण वाक्य
- हिन्दी साहित्य में श्रृंगारिक नायक नायिका भेद एक उपेक्षित प्रसंग है!
- अब विषय चर्चा बल्कि कहिये विषयासक्त चर्चा....हिन्दी साहित्य में श्रृंगारिक नायक नायिका भेद एक उपेक्षित प्रसंग है!
- अपने यहाँ नायक नायिका भेद की पुरानी परम्परा रही है वर्गीकरण कामसूत्र के प्रणेता वात्सायन ने किया है.
- भइया! यहि छेत्र मा जवन बतौबो तवन हमार ग्यानइ बढाई | नायक नायिका भेद पै हमार ग्यान बढ़ावै ताइन सुकरिया...
- महावीर प्रसाद द्विवेदी ने कहा है कि नायक नायिका भेद दरअसल सामंतों-राजाओं की विलासिता पसंद अभिरुचि का रंजन भर है!
- नायक नायिका भेद विवेचन के पीछे तो स्त्री पुरुष रति सम्बन्ध ही हैं जिनकी अनेक स्थितियां / मनस्थितियाँ हैं और वे ही इन में रूपायित हुई हैं!
- नायक नायिका भेद विवेचन के पीछे तो स्त्री पुरुष रति सम्बन्ध ही हैं जिनकी अनेक स्थितियां / मनस्थितियाँ हैं और वे ही इन में रूपायित हुई हैं!
- उनके नायक नायिका भेद को भी ब् लॉग में उतारने के बाद मैं आपणी मायड़ में बीकानेर में मायड़ भाषा को लेकर हो रही गतिविधियों को परोसने का प्रयास करूंगा।
- भले ही हमारे शास्त्रों ने इसे महिमा मंडित किया हो! हिन्दी के कई मूर्धन्य विद्वानों ने इसे हेय और अश्लील तक माना है.महावीर प्रसाद द्विवेदी ने कहा है कि नायक नायिका भेद दरअसल सामंतों-राजाओं की विलासिता पसंद अभिरुचि का रंजन भर है!
- बल्कि इसका बार बार अनुशीलन होना चाहिए और यथा संभव इस साहित्य की अभिवृद्धि भी! ज्ञान के नए अलोक में और नए युगीन संदर्भों और परिप्रेक्ष्यों में! तो नायक नायिका भेद जिसमें श्रृंगार रस का पूरा परिपाक हुआ है के अवगाहन के पहले आईये इस साहित्य की कुछ मूलभूत स्थापनाओं मतलब खेल के नियमों से भी परिचित हो लें जिससे खेल के बीच कोई गलतफमी न उपजे! और हाँ यह भी कह दूं सनसनाहट प्रेमी थोडा किनारा ही किये रहें क्योंकि उन्हें यहाँ कुछ ख़ास नहीं मिलने वाला है!
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